SHAYARI SANGRAH तुम क्या जानो जब किसी से मुस्कुराकर बात करती हो मेरे दिल पर क्या गुजरती है अंदर से टूटकर रह जाता हूं खामोशियां दर्द बयां करती है हद से ज्यादा तकलीफ होती है मीठी-मीठी बातें करते हुए दूसरों से चिपकना शुरू करती हो इस मामले में कच्चा हूं तुम पूरा गुरु लगती हो जबसे मालूम हुआ है मैं बेतहाशा प्यार करता हूं वह सताने लगी है उसके इश्क में किस हद तक जा सकता हूं आजमाने लगी है एक बार आकर गले से लगा लो सारे शिकवे गिले मिटा दो सच कह रहा हूं गलत रास्ते नहीं जाऊंगा भूला हुआ घर आ रहा है अपना बना लो मैं बदल गया हूं जो दिल की हकीकत से रूबरू हो जाओगी दूर जाने से घबराने लगोगी इतना करीब हो जाओगी करीब हो जाओ मेरी नसीब हो जाओ अनजान शहर में मुसाफिर हूं पहचान बन जाओ
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