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तुम क्या जानो-शायरी संग्रह

SHAYARI SANGRAH   तुम क्या जानो जब किसी से मुस्कुराकर बात करती हो मेरे दिल पर क्या गुजरती है अंदर से टूटकर रह जाता हूं खामोशियां दर्द बयां करती है हद से ज्यादा तकलीफ होती है मीठी-मीठी बातें करते हुए दूसरों से चिपकना शुरू करती हो इस मामले में कच्चा हूं तुम पूरा गुरु लगती हो जबसे मालूम हुआ है मैं बेतहाशा प्यार करता हूं वह सताने लगी है उसके इश्क में किस हद तक जा सकता हूं आजमाने लगी है एक बार आकर गले से लगा लो सारे शिकवे गिले मिटा दो सच कह रहा हूं गलत रास्ते नहीं जाऊंगा भूला हुआ घर आ रहा है अपना बना लो मैं बदल गया हूं जो दिल की हकीकत से रूबरू हो जाओगी दूर जाने से घबराने लगोगी इतना करीब हो जाओगी करीब हो जाओ मेरी नसीब हो जाओ अनजान शहर में मुसाफिर हूं पहचान बन जाओ

वादों से मुकरने का तरीका ढूंढ लेती है-Hindi shayari sangrah

हिंदी शायरी संग्रह मस्ती मनोरंजन वादों से मुकरने का तरीका ढूंढ लेती है तकलीफ होती है ऐसे जख्म देती है उसके प्यार में जिंदगी बर्बाद हो गई लोग विश्वास नहीं करते है वह फरेबी है जिंदगी में मलाल रह गया उनसे पूछने को कई सवाल रह गया मेरे वफा में क्या कमी थी मुकद्दर सुलझाने का बवाल रह गया तुम्हारे प्यार का खुमार ऐसा चढ़ गया है तुम्हें पाने की कोशिश दिन-रात करने लगा हूं आजकल मोहब्बत बेशुमार करने लगा हूं ख्वाहिशों का इजहार हो जाए उन्हें मेरी तरह प्यार हो जाए फिर जिंदगी सुकून से जीना आसान हो जाए सितम करते हो हर रोज तकरार में दोस्ती खत्म करने की बात करते हो मैंने प्यार में सब कुछ भुला दिया तुम प्यार नहीं करते हो प्यार जीने का सुकून देता है प्यार जीने का जुनून देता है खुदा अच्छे इंसान की किस्मत में प्यार जरूर देता है

झूठे वादों में धोखा दिया-shayari sangrah

खुद को खुशनसीब समझने लगा था सच्ची मोहब्बत का भरोसा दिया फिर एक झटके में सब कुछ खत्म हो गया जब मालूम हुआ झूठे वादों में धोखा दिया उसके झूठे इरादों से ख्वाबों की महफिल उजड़ गई आंखों से आंसुओं की धार निकल गई तलाश में दिन-रात गलियों के चक्कर लगा रहा था सारी मेहनत बेकार निकल गई सच्ची मोहब्बत के बदले धोखा मिला अपनी खता ढूंढते हैं मेरा खुद से भरोसा उठ गया है आजकल हकीकत का पता ढूंढते हैं वह बेवफा हो गई खामोश रहते हैं किसी से अपने दिल का दर्द बयां कर नहीं पाते है क्योंकि अपनी तौहीन बर्दाश्त कर नहीं पाएंगे मेरे मुकद्दर में प्यार लिखा ही नहीं है वरना सारी मेहनत बेकार नहीं जाती वह करीब रहने का हजार वादा करके दूर नहीं जाती