खुद को खुशनसीब समझने लगा था सच्ची मोहब्बत का भरोसा दिया फिर एक झटके में सब कुछ खत्म हो गया जब मालूम हुआ झूठे वादों में धोखा दिया
उसके झूठे इरादों से ख्वाबों की महफिल उजड़ गई आंखों से आंसुओं की धार निकल गई तलाश में दिन-रात गलियों के चक्कर लगा रहा था सारी मेहनत बेकार निकल गई
सच्ची मोहब्बत के बदले धोखा मिला अपनी खता ढूंढते हैं मेरा खुद से भरोसा उठ गया है आजकल हकीकत का पता ढूंढते हैं
वह बेवफा हो गई खामोश रहते हैं किसी से अपने दिल का दर्द बयां कर नहीं पाते है क्योंकि अपनी तौहीन बर्दाश्त कर नहीं पाएंगे
मेरे मुकद्दर में प्यार लिखा ही नहीं है वरना सारी मेहनत बेकार नहीं जाती वह करीब रहने का हजार वादा करके दूर नहीं जाती