हर सवाल का जवाब चाहती हूं जो वादा किया है उसका हिसाब चाहती हूं स्वार्थ सिद्ध होने के बाद रुख मोड़ना अच्छा नहीं होता मैं अपनी खोई हुई वापस मुस्कान चाहती हूं
प्यार ने हैसियत इस कदर बढ़ा दिया है हर महफिल में खास हो गया हूं अब कोई कमी महसूस नहीं होती है जब से हकीकत मालूम हुआ है सिर्फ मैं उसके दिल में निवास कर रहा हू
उसकी मीठी मुस्कान देखकर मुझे यकीन हो गया मेरी मोहब्बत कबूल हो गई है खुशनसीब हूं मेहनत वसूल हो गई हैै
अपनी ख्वाहिशों का इजहार करने का मौका ढूंढता हूं जब आंखे मिलती है इशारों में सवाल पूछने की कोशिश करता हूं क्या हमसफ़र बनना स्वीकार करोगी
उनसे मोहब्बत बेशुमार हो गया है जिंदगी में खुशियों का वास हो गया है जहां दिन रात तन्हाई रहती थी वही जगह सबसे खास हो गया है