Shayari sangrah
हकीकत की बुनियाद पर ख्वाहिशों का घर बनाएंगे सादगी से मोहब्बत किया है उम्र भर साथ निभाएंगे
वह मुस्कुराकर बेखबर हो गई मैं सपने सजा रहा हूं जहां मंजिल का कोई ठिकाना नहीं है ऐसे रास्ते पर जा रहा हूं
तुम प्यार देने का वादा करो मैं उम्र भर गुलामी करता रहूंगा जो फरमाइश करोगी पूरा करूंगा हर कदम इशारों पर चलता रहूंगा
हमसफर की तलाश में सफर करता रहा उम्मीदों का दीपक जलाकर खुशियों का मोती ढूंढता रहा बड़ी मुद्दत से जिंदगी में बदलाव आया है
क्या खता हो गई है क्यों मेरी जिंदगी तबाह कर रही हो कोई समस्या है बैठकर बात करने से हल निकल जाएगा ऐसा प्रतीत हो रहा है सिर्फ मुझसे दूर जाने का इंतजाम कर रही हो