मन में खुशियों की महफिल सजने लगी है जिंदगी धीरे धीरे सवरने लगी है असलियत के पहचान से अनजान था मेरी रूह हर कशिश समझने लगी है
Shayari, koi apna banane ki koshish kare..................
कोई अपना बनाने की कोशिश करें हम इतराने में कसर क्यों रखें हर तरफ तारीफ होने लगे फिर मन आसमां तक क्यों न उड़े
Shayari, Intezar karne se Waqt nikal jaega.............
धीरे धीरे चलने वाला मंजिल तक पहुंच जाएगा ठहर कर इंतजार करने से वक्त निकल जाएगा फिर अपने किए पर पछताओगे तुम्हारे द्वार अवसर न लौट पाएगा
Khamoshiyo ka Jahar Peene Laga Hu....... शायरी
खामोशियों का जहर पीने लगा हूं मैं आजकल घुट घुट के जीने लगा हूं मुझे पता है जो दर्द का बयां किया मेरे जख्मों में तकलीफ दोगे